व्यवसायिकता हावी होने लगी तो छोड़ दिया फिल्मों में लेखन

उज्जैन :- वर्षो तक पं.संतोष व्यास मुम्बई में रहे लेकिन उनका मन महाकालेश्वर की नगरी उज्जैन में लगा रहा। पं.व्यास ने सबसे पहले निर्माता निर्देशक सुल्तान एहमद की प्रसिद्ध फिल्म गंगा की सौंगंध की कहानी लिखी। इसके पश्चात जे.ओमप्रकाश की अपना बना लो सहित 20 के लगभग फिल्मों की कथा पटकथा लिखी उन्होंने कई फिल्मों के संवाद भी उन्होंने लिखे। पं. व्यास ने टीवी सीरियलों के लिये भी लेखन कार्य किया। वह 20 साल तक फिल्म जगत में सक्रिय रहे और उसके बाद वापस अपने शहर उज्जैन आ गये।हरसिद्धि मंदिर के समीप निवासी पं. व्यास की रूचि शुरू से लेखन में रही। उनकी कई कहानियां, लेख, व्यंग्य आदि साप्ताहिक हिन्दुस्तान,सारिका मुक्ता,धर्मयुग, हिन्दू आर्यवत,नवनीत, कादम्बिनी आदि पत्र पत्रिकाओं में वर्षो तक प्रकाशित होते रहे। इसके बाद उनका परिचय प्रसिद्ध निर्माता निर्देशक सुल्तान एहमद से हुआ जिनके लिये पं.व्यास ने फिल्म गंगा की सौंगंध की कहानी लिखी।

इस फिल्म में अमिताभ बच्चन,रेखा, अमजद खान, प्राण हिना कौसर आदि कलाकारों ने अभिनय किया था। यह फिल्म उस दौरान सुपरहिट हुई। इसके पश्चात पं. व्यास ने जे.ओमप्रकाश की अपना बना लो सहित काली बस्ती, ज्वाला,तुलसी, मेरा लहू, बंजारन, दो फंटूस सहित लगभग 20 फिल्मों सहित कथा पटकथा लिखी। वहीं कुछ फिल्मों में उन्होंने संवाद लिखे। मुम्बई में रहते हुए उन्होंने कथा पटकथा लेखक के तौर पर अपनी अलग पहचान बनाई।

उपन्यास भी लिखे
पं. व्यास ने सन 1960 के दौरान उज्जयिनी की पृष्ठ भूमि पर कालिदास उपन्यास लिखा जिसका प्रकाशन बनारस से हुआ था। इसके साथ ही उन्होंने बौद्धधर्म पर आधारित तथागत एवं पदमावती उपन्यास भी लिखेे जिनकी काफी सराहना हुई।

टीवी सीरियलों के लिये लेखन
पं. व्यास ने जय माता की सीरियल के लिये लेखन किया इस सीरियल में हेमामालिनी, पुनीत इस्सर आदि कलाकारों ने अभिनय किया था। वहीं आचार्य पं.श्रीराम शर्मा के विचारों पर आर्धारित मंथन सीरियल लिखा। इसका प्रसारण दूरदर्शन पर हुआ था। इसके साथ ही उड़ीसा के सम्राट खारवेल के जीवन पर आधारित कहानी लिखी, यह सीरियल दूरदर्शन पर प्रसारित हुआ। पं.व्यास ने हिन्दी फिल्मों के अलावा राजस्थानी, पंजाबी फिल्मों की पटकथा भी लिखी।

कई सीरियलों के ऑफर छोड़े
पं.व्यास ने अक्षरविश्व से चर्चा करते हुए बताया कि वह दौर अलग था। लेकिन उसके बाद व्यसायिकता हावी होने लगी इस वजह से कई सीरियलों के ऑफर छोड़ दिये क्योंकि सीरियल बनाने वाले पौराणिक कथाओं में बदलाव करना चाहते थे जो कि उन्हें मंजूर नहीं था। एक प्रकार से ऐसा करना विचारों को प्रदूषित करने के समान था।

वर्षो तक रहे संबंध
पं. व्यास ने बताया कि प्रसिद्ध कहानीकार एवं गीतकार राजेन्द्र कृष्ण, गीतकार अनजान, अभिनेता देव आनंद सुनील दत्त शत्रुघ्न सिन्हा,निर्माता निर्देशक चेतन आनंद, विजय आनंद, सुल्तान एहमद, जे.ओमप्रकाश आदि से उनके नजदीकी संबंध रहे।

मुम्बई में नहीं लगा मन
पं.व्यास ने बताया कि कई वर्षो तक मुम्बई में रहकर फिल्मों एवं सीरियलों के लिये कथा एवं पटकथा लिखी। लेकिन इसके बावजूद मुम्बई में मन नहीं लगा जो कि मेरा मन तो बाबा महाकालेश्वर की नगरी एवं अपनी जन्म भूमि उज्जैन में रहता था। जब भी समय मिलता तो उज्जैन आ जाता। जब लिखी फिल्म सफल होती थी तो काफी अच्छा लगता था। अब लेखन छोड़ दिया है, और उज्जैन में ही रह रहा हूं एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि यदि कथा पटकथा लेखन में रूचि रखने वाले युवा उनसे कुछ सीखना चाहते है तो वह इसके लिये तैयार है।

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